वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां बड़ों के अपमान रोजाना हुआ करते है।
वह महल भी बंजर हो जाता है ..
जहां रहने वालों के बीच रोजाना मतभेद हुआ करते हैं ।
वह महल भी बंजर हो जाता है ..
जहां एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव ऊपरी मन से हुआ करता है।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां अपनों की बात से ज्यादा गैरों की बात पर विश्वास हुआ करता है।
वह महल भी बंजर हो जाता है ..
जहां दुनिया के लिए मजबूत और अंदर से टूटे हुए से रिश्ते हुआ करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां तेरे मुंह पर तेरे और पीठ पीछे बुरे हुवा करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां रहने वालों के बीच रोजाना मनमुटाव हुआ करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है...
जहां एक दूसरे के प्रति उपरी प्रेम और मन में नफरत हुआ करती है।
वह महल भी बंजर हो जाता है ..
जहां रोजाना एक दूसरे को नीचा गिराने की होड़ हुआ करती है।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां अपनों का अपमान होते देख खुशी हुआ करती है।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां एक साथ रहते हुए भी आपसी प्रेम नहीं हुआ करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है
जहां बच्चों के बीच नफरत के बीज बोना शुरू हुआ करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां ऊपरी मन से खुशी और आंतरिक मन से नफरत हुआ करती हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां चेहरे पर हंसी और आंतरिक मन रोया करते हैं।
वह महल भी बंजर हो जाता है..
जहां हम लोगों को दिखाने के लिए एकजुट होकर रहते हैं।
महल चाहे कितना भी सुंदर आलीशान क्यों ना हो..
जहां आपसी प्रेम में कमी हो तो वह सुंदर और आलीशान महल किसी काम का नहीं। पहले प्रेम बढ़ाओ फिर महल बनाओ।।।।।