Wednesday, 20 February 2019

हम ही दोशी बन गए

वक़्त अपनी रफतार से चल रहा है,
हम वहीं रह गए...
ज़िन्दगी में सब आगे निकल गए,
हम वहीं रह गए...
इसका दोष हम किसी दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
एक रास्ता था मेरा,
अब कई मोड़ है बन गए..
सबको आगे किया हमने,
सब हमे ही पीछे छोड़ गए..
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
सब का साथ दिया हमने,
पर हम अकेले रह गए...
मतलब कि इस दुनिया में,
हम यू हीं रह गए...
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
क्या करना चाहते थे हम,
और क्या आज हम कर गए...
इतनी हसीन दुनिया में हम,
गुम सुम से हो गए...
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...

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आसान बनाओ

क्यू हे जिंदगी में इतनी मुश्किलें, क्या ये आसान नही हो सकती... सीधा सीधा सा जीना हे जीवन, फिर क्यू जिंदगी आसान नही लगती