Sunday, 24 February 2019

मेरी दादी मेरी बाई आज मुझे बहुत याद आई...

वक़्त बीत रहा हैं,
पर तेरी याद नहीं जा रहीं,
"बाई" तू आज बड़ी याद आ रही..
याद आते हैं आज भी तेरी वो बाते,
तेरा डाटना फिर मेरे रूठने पे  तेरा मुझे मनाना....
तेरे मनाने पे भी मेरा ना मानना..
फिर मुझे मनाने के लिए मेरी ज़िद्दी पूरी करना..
हर पल मेरी फ़िक्र तुझे हुआ करती थी..
क्या खाया क्या नहीं मैंने,
हर बात की खबर लिया  करती थी..
आज भी याद है मुझे, व्रत करती थी मैं जब भी..
तू बड़ी मुश्किल से खाना खाती थी..
मुझे भूखा देख तेरी छाती भर आती थी...
तेरे पेट पे चिमटी लेने की आदत थी मेरी बचपन की..
बिन तेरे पेट सहलाए मुझे नींद भी कहां आती थी..
मां बन कर ही पाला मुझे बस कहने को तू दादी (बाई)थी..
मेरी डॉली का क्या होगा ये ही फिक्र तुझे हर पल खाती थी..
डॉली - कोमल, डॉली - कोमल करते तू कभी ना थकती थी..
हर पल हर वक़्त तू ख्याल मेरा बहुत रखती थी...
याद है आज भी वो दिन जब तू बहुत बीमार थी..
मैं तेरा हाथ पकड़े आंखो में आंसू लिए तेरे पास थी..
भगवान बस तेरी शादी दिखादे, बार- बार यही तू कह रही थी...
तीन दिन से कुछ ना खाया था तूने फिर भी मेरी फ़िक्र कर रही थी...
इतना प्यार करती थी मुझसे जैसे मेरे लिए जी रही थी..
मेरी शादी  होते ही फिर से तू  बीमार हुई😭😭
अब की बार तू छोड़ के सबको भगवान के बैकुंठ धाम गई...
कैसे बताऊं तुझे अब कि तेरे जाने से मुझपर क्या बीती थी..
एक तेरा जाने का ग़म, और उससे भी बड़ा तेरे अंतिम दर्शन ना कर पाने का ग़म, किस तरह दिल में छुपाए बैठी थी..
हर रोज हर पल हर वक़्त मुझे ये बात चुभती है..
क्यों नहीं थी  मैं उस वक़्त तेरे पास ये बात मुझे हर पल खटकती है..
आज जब भी घर जाती हूं तो तेरी कमी बहुत लगती है..
घर के हर कोने में तू याद बहुत आती है..
वक़्त बीत रहा..
पर तेरी याद नहीं जा रही,
बाई तू आज याद बहुत आ रही...

आज जन्म दिन है तेरा फाल्गुन लगते छट का...
जहां भी है जन्म दिन मुबारक हो बाई..
आज तू बहुत याद आई.....

Friday, 22 February 2019

अपने ही धोखा दे जाते.....

अजनबियों को क्यों हम अपना बनाते,
वहीं हमे  हमेशा रुलाते...
ना जाने क्यों हम समझ नहीं पाते,
और अपनों को धोखा देजाते...
क्यों हम हर बार उम्मीद लगाते,
जब वो हमारी उम्मीद तोड़ जाते...
क्यों हम ऐसे रिश्ते बनाते,
जिसे हम निभा नहीं पाते...
क्यों झूठे सपने दिखाते,
जिसे टूटा देख फिर दिल घबराते..
एक पल भी चैन न पाते,
दिन - रात बस रोते जाते..
क्यों हम किसी के इतने करीब जाते,
जो अपनों से हमें दूर लेजाते...
क्यों हम उन्हें दिल में बसाते,
जो हमे कभी समझ नहीं पाते...
क्यों हम उनका साथ निभाते,
जो अपनों से ही हमे झूठ बोलना सिखाते..
क्यों किसी पर इतना विश्वास कर जाते,
जो हमारी अच्छाई को बुराई की और लेजाते...
क्यों हम ऐसे इंसान को "चाहते"..
जो हमे हमारे अपनों  से लड़वाते...
क्यों हम किसी के इतने गुलाम होजाते,
जो हमसे "अपनों" को नजरअंदाज करवाते...
ना जाने क्यों हम समझ नहीं पाते,
और अपनों को धोखा देज़ाते...

Thursday, 21 February 2019

मैं चाहती हूं क्या, मुझे जताना नहीं आता

मैं चाहती हूं क्या,
मुझे जताना नहीं आता...
लोग रूठ जाते है मुझसे,
और मुझे मनाना नहीं आता...
दर्द को छुपाना पुरानी आदत है मेरी,
मुझे जल्दी से मन की बात बताना नहीं आता..
लोग कहते है कि जवाब देती नहीं "घुन्नी" है ये लड़की,
क्या करू यारो सच बोल के किसी का दिल दुखाना नहीं आता..
दर्द के समंदर में डूब रहे हैं जैसे,
क्या करू मुझे गोते लगाना नहीं आता..
छूना चाहती हूं आसमान,
पर यारो मुझे तो उड़ना ही नहीं आता...
कई बार शिकायत कर जाती हूं अपनों से अपनों की ही,
क्या करू मुझसे अपनों  का गलत होते देखा नहीं जाता..
लोग कहते है कितनी शिकायते करती है ये लड़की,
क्या करू मुझे झूठी और गलत बाते  सहना नहीं आता...
जिन रिश्तों में झूठ और चालाकी है,
उन रिश्तों को मुझे निभाना नहीं आता.. 
आज भी कई मेरे अपनों के लिए मैं गलत हूं,
क्योंकि यारों मुझे झूठ का साथ देना नहीं आता..
अपनों की फ़िक्र ने अपनों से दूर करदिया,
क्या करू यारो मुझे अपनो की बेफिक्री करना नहीं आता...
प्यार बहुत करती हूं अपनों से,
पर मुझे प्यार जताना नहीं आता...
अब क्या कहूं मैं, क्या आता है और क्या नहीं,
बस मुझे मौसम की तरह बदलना नहीं आता...

Wednesday, 20 February 2019

हम ही दोशी बन गए

वक़्त अपनी रफतार से चल रहा है,
हम वहीं रह गए...
ज़िन्दगी में सब आगे निकल गए,
हम वहीं रह गए...
इसका दोष हम किसी दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
एक रास्ता था मेरा,
अब कई मोड़ है बन गए..
सबको आगे किया हमने,
सब हमे ही पीछे छोड़ गए..
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
सब का साथ दिया हमने,
पर हम अकेले रह गए...
मतलब कि इस दुनिया में,
हम यू हीं रह गए...
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...
क्या करना चाहते थे हम,
और क्या आज हम कर गए...
इतनी हसीन दुनिया में हम,
गुम सुम से हो गए...
इसका दोष हम किसे दे,
जब हम ही दोषी बन गए...

आसान बनाओ

क्यू हे जिंदगी में इतनी मुश्किलें, क्या ये आसान नही हो सकती... सीधा सीधा सा जीना हे जीवन, फिर क्यू जिंदगी आसान नही लगती